Monday, 18 August 2014

Teri Yaadon ke Sahare ... ( तेरी यादों के सहारे ... )


Bahut din kaate humne, tere vaadon ke sahare ...
Bahut kuch likha hai humne, teri yaadon ke sahare ...

Pahli baarish me tere saath bheegne ki chah thi,

aur kitne mausam guzarun mai, bas iraadon ke sahare ...

Saawan ki tareek dekar, patjhad guzar di,

fool kab tak mehakte rahenge, baharon ke sahare ...

Rang to kab ke bah gaye hain in tasveeron se,

bas kuch kaagaz tange hain ab, deewaron ke sahare ...

Har rang ki chudiyan khareedi hain maine, saawan ki chah me,

yun kab tak khush rahungi mai, in baazaron ke sahare ...

Maine lauta diye kai sharabi, tujh sang mehkashi ki chah me,

nasha sambhal ke rakha hai ab tak, paimaano ke sahare ...

Jab se tu gaya, bujha di hain shammayen apne ghar ki,

Ji rahe hain parvaane, bas ab maykhaano ke sahare ...

Kuch raaton ki yaad liye, naa jaane kitani raaten guzar di,

bistar ki silvaten adhuri padi hai, kuch raaton ke sahare ...

Mashoor kar diya hume, teri is judaayi ne,

bahut kuch likha hai humne teri yaadon ke sahare ...

"romeo"


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बहुत दिन काटे हैं हमने, तेरे वादों के सहारे ...

बहुत कुछ लिखा है हमने, तेरी यादों के सहारे ...

पहली बारिश में तेरे साथ भीगने की चाह थी,

और कितने मौसम गुज़रूँ मै, बस इरादों के सहारे ...

सावन की तारीक़ देकर, पतझड़ गुज़ार दी,

फूल कब तक महकते रहेंगे, बहारों के सहारे ...

रंग तो कब के बह गये हैं इन तस्वीरों से,

बस कुछ काग़ज़ टंगे हैं अब, दीवारों के सहारे ...

हर रंग की चूड़ियाँ खरीदी हैं मैंने, सावन की चाह में,

यूँ कब तक खुश रहूंगी मै, बाज़ारों के सहारे ...

मैने लौटा दिए कई शराबी, तुझ संग महकशी की चाह में,

नशा संभाल के रखा है अब तक, पैमानों के सहारे ...

जब से तू गया, बुझा दी हैं शम्माएँ अपने घर की,

जी रहे हैं परवाने, बस अब मयखानो के सहारे ...

कुछ रातों की याद लिए, ना जाने कितनी रातें गुज़ार दीं,

बिस्तर की सिलवटें अधूरी पड़ी हैं, कुछ रातों के सहारे ...

मश्हूर कर दिया हमे, तेरी इस जुदाई ने,

बहुत कुछ लिखा है हमने, तेरी यादों के सहारे ...

"romeo"


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