Mai aaj bhi mehsus karta hun
dhadkano ko uski,
mai is ehsaas ke maayne jaanta hun ...
Par kabhi palat ke naa dekha uski taraf,
mai mohabbat ke qaayde jaanta hun
...
Inka bas chale to mere ghar me roz baarish ho,
par mai in fizaaon ke daayre
jaanta hun ...
Suna hai mohabbat ne bahuton ko sharabi banaya hai,
par mai uski nigaahon ke faayde
jaanta hun ...
"romeo"
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मै आज भी महसूस करता हूँ धड़कनो को उसकी,
मै इस एहसास के मायने जानता हूँ ...
पर कभी पलट के ना देखा उसकी तरफ,
मै मोहब्बत के कायदे जानता हूँ ...
इनका बस चले तो मेरे घर मे रोज़ बारिश हो,
पर मै इन फ़िज़ाओं के दायरे जानता हूँ ...
सुना है मोहब्बत ने बहुतों को शराबी बनाया है,
पर मै उसकी निगाहों के फायदे जानता हूँ ...
"romeo"
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